कुछ दिन घर से बाहर निकले
जी भर के तमाशा देख लिया
क्या क्या फिर से याद करें
अब भावुक होना छोड़ दिया
ऐसा तो हरगिज़ न था वो
हमने ही कुछ काण्ड किया
हाथ में रेती सा फिसला तो
भावुक होना छोड़ दिया
बात बात पर किसको बोलें
किसने क्या नुक्सान किया
अब तो सबको कह देते हैं
भावुक होना छोड़ दिया !
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